युवा समाज को आगे बढ़ाते हैं, दिशा दिखाते हैं, लेकिन कभी कभी तो लगता है की ये युवा खुद ही दिशाहीन हैं.
अंसल प्लाज़ा (Ansal Plaza) के पीछे के पार्क में ऐसे ऐसे दृश्य देखने को मिलते हैं कि वहाँ से गुज़रते हुए भी शर्म सी महसूस होती है. अधनंगे लेटे लड़के और बेशर्मी कि सारी हदें पार करती हुई लडकियां. अगर ये प्यार है तो झाडी के पीछे छुप केर क्यों. नहीं ये प्यार नहीं हवास है. कामभावना को शांत करने के लिए लड़के लडकियां वहाँ आते हैं. प्यार करने के लिए नहीं. क्यूंकि छुपकर प्यार नहीं अय्याशी होती है. लड़के लड़कियों का एक साथ घूमना. प्यार करना बुरा नहीं. बुरा है अपनी हवस मिटाने के लिए शर्म कि हदों से पार होना. अपना काम अपनी पढाई अपनी जिम्मेदारियां सब ताक पर रख कर, अपने घर वालों से झूठ बोल कर, अपने ऑफिस में, स्कूल में, कॉलेज में, धुखा देकर, झूठ बोल कर सबसे नज़रें चुरा कर, पार्क में आकर अपनी हवस मिटाने को यदि आप प्यार कहते हैं तो माफ़ कीजियेगा, मेरी नज़र में ये प्यार नहीं, प्यार बहुत ऊंची चीज़ है,
प्यार दर्शन है, प्यार है सब कुछ भूल कर किसी का भला चाहना, उसके लिए दुआ करना, न कि अपने लिए, मुहोब्बत का मतलब है कि आप किसी के लिए इतने फिक्रमंद हैं कि आप ये चाहते हैं कि वो जहां भी रहे सलामत रहे, अगर आपसे दूर रहने में ही उसका भला है तो वो आपसे दूर ही रहे, यही मुहोब्बत है, अब तक तो मैं इतना ही समझ पाया हूँ.
खैर मैं युवाओं से सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा के अगर उन्हें लगता है कि पार्क में झाडी के पीछे बैठ कर वो जो कुछ करते हैं वोही मुहोब्बत है तो थोडा एक बार फिर सोचें. कन्यायों से कहना चाहूँगा कि अगर वो ये न समझ पा रही हो कि सही क्या है और गलत क्या है तो इसका फैसला करने का एक तरीका मैं आपको बताता हूँ,
आप एक बार सोचो कि आप जो भी करें अगर वो आप अपने भाई और अपने पिता को बताएं तो उन्हें प्रसन्नता होगी या उनका सर शर्म से झुक जायेगा. अगर आपको लगे कि उन्हें बहुत ख़ुशी होगी तो समझ लें कि आप सही कर रही हैं और अगर आपको लगे कि आपके पिता, आपके भाई का सर शर्म से झुक जायेगा तो आप ये समझ लें कि आप गलत कर रही हैं.